* अमरीका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 8 विविध क्षेत्र से दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में वर्गीकृत किया
* इस उपलब्धि से एलपीयू में विभिन्न क्षेत्रों में लगातार किए गए शानदार शोध कार्य का पता चलता है
* “यह वास्तव में देश के संपूर्ण वैज्ञानिक समुदाय के लिए गर्व की बात है”: एलपीयू के चांसलर डॉ अशोक कुमार मित्तल
जालंधर: संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के 12 वैज्ञानिकों को दुनिया भर के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में वर्गीकृत किया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध डेटाबेस ने एलपीयू के 8 विविध क्षेत्रों के वैज्ञानिकों को शामिल किया है। इस सूची में इन सभी वैज्ञानिकों के प्रकाशनों और उद्धरणों सहित कुछ प्रमुख सूचकांकों के आधार पर यह स्थान दिया गया है। इस साल रैंक किए गए शीर्ष 12 वैज्ञानिकों में से 5 पिछले वर्ष भी शीर्ष वैज्ञानिकों का हिस्सा रहे थे।
विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त 12 एलपीयू वैज्ञानिक आठ क्षेत्रों से हैं। एलपीयू की इस प्रतिष्ठित वैश्विक सूची में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इमेज प्रोसेसिंग के क्षेत्र में अनुसंधान प्रयासों के लिए डॉ मुनीश भाटिया; जीवविज्ञान और वनस्पति विज्ञान के लिए डॉ धृति कपूर; मैकेनिकल इंजीनियरिंग और परिवहन के लिए डॉ रविंदर कुमार और डॉ रविंदर जिल्टे; सामग्री के लिए डॉ चंदर प्रकाश; जैव प्रौद्योगिकी के लिए डॉ गुरशरण सिंह; नेटवर्किंग और दूरसंचार के लिए डॉ अखिल गुप्ता; औषधीय और जैव-आणविक रसायन विज्ञान के लिए डॉ प्रणव कुमार प्रभाकर, डॉ देवेश तिवारी, डॉ विजय मिश्रा; और डॉ सचिन कुमार सिंह; तथा डॉ सौरभ सतीजा को फार्माकोलॉजी और फार्मेसी में उनके व्यक्तिगत कार्यों के लिए शामिल किया गया हैं।
एलपीयू के चांसलर डॉ अशोक कुमार मित्तल ने कहा, “यह बड़े सम्मान और गर्व की बात है कि हमारे 12 प्रोफेसरों ने दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में जगह बनाई है। वे वास्तव में एलपीयू के नवोदित वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश के सभी महत्वाकांक्षी युवा वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणा हैं। यह शायद सबसे अच्छी स्वीकृति है जो हमें इस दिशा में सभी प्रयासों के लिए मिली है। हम अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, और एलपीयू में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक समूचे तंत्र का निर्माण कर रहे हैं। वास्तव में, हम हमेशा उद्योग की जरूरतों के संबंध में अनुसंधान और परिणामोन्मुख अध्ययन पर जोर देते हैं। अब, उसी के परिणाम दुनिया के सामने हैं।”
यह एक अनूठा वर्गीकरण है जो प्रत्येक वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रमुख वैज्ञानिकों की पर्याप्त गहराई तक रैंकिंग करता है। ऐसा विश्लेषण पिछले वर्ष तक के शोध प्रकाशनों का उपयोग करके किया जाता है। शीर्ष वैज्ञानिकों के नाम मानकों के आधार पर चुने जाते हैं, जिनमें प्रकाशन, जर्नल प्रभाव, उद्धरण और उनके स्कोपस प्रोफाइल के आधार पर ओवरआल स्कोर शामिल हैं। डेटा में सभी 1,00,000 वैज्ञानिक शामिल हैं जो ओवरआल सूचकांक के अनुसार सभी क्षेत्रों में शीर्ष 2% में शामिल हैं।
एलपीयू में ‘डिविजन ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ (डीआरडी) की प्रमुख, डॉ मोनिका गुलाटी (एलपीयू की कार्यकारी डीन और रजिस्ट्रार) आगे साझा करते हैं कि यह विशेष प्रभाग परिसर में अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा देता है। एलपीयू यूनिवर्सिटी स्कॉलरली कम्युनिकेशन ग्रांट (यूएससीजी) के माध्यम से शोधकर्ताओं को वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। यह सार्थक शोध करने वाली उच्च प्रभाव वाली पत्रिकाओं में प्रकाशन के लिए संकाय सदस्यों को मूल धन के साथ-साथ 1 लाख रुपये से अधिक की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करता है।
जब कभी भी औद्योगिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रभावशाली शोध प्रदान करने की बात आती है तो एलपीयू भारतीय अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों में सबसे आगे रहा है। पिछले छह वर्षों में, विश्वविद्यालय ने अनुसंधान की सुविधा के लिए उच्च गुणवत्ता वाली अनुसंधान क्षमता और विश्व स्तरीय प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिए 100 मिलियन रुपये से अधिक का निवेश किया है।