पूर्व विधायक और एसजीपीसी सदस्य बीबी जागीर कौर ने जालंधर में प्रेसवार्ता के दौरान पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए। वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल किसी एक व्यक्ति की जागीर नहीं, जब पार्टी का ढांचा भंग हो और प्रधान सर्वेसर्वा हो पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों की जांच और कार्रवाई कैसे हो सकती है।
शिअद ने कभी उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया। हां, लिफाफे में नाम लिखकर जरूर भेजा जाता था लेकिन अब धर्म पर संकट है। पंथ की रक्षा के लिए शिरोमणि अकाली दल बनाई गई थी जिसे सिंह सभाएं और जत्थेबंदियों ने मिलकर खड़ा किया और हर मोर्चे पर फतेह हासिल की लेकिन आज धर्म को सियासत के मुताबिक मोड़कर चलाया जा रहा है जो पंथ के उत्थान के लिए ठीक नहीं।
1996 से एसजीपीसी की सदस्य और चार बार प्रधान रह चुकी हूं कमेटी कैसे चलती है और सिख संगत की मांग क्या हैं, सब पता है। कुछ समय पहले एसजीपीसी ने बदलाव के लिए संगत से सुझाव मांगे थे जिसमें लोगों ने कहा था कि एसजीपीसी को आजाद रखा जाए और सियासत इस पर हावी न हो लेकिन पार्टी के नेताओं ने संगत की फरमान को भी नहीं सुना। जब यह निश्चय हो गया कि मैं प्रधान पद का चुनाव लडूंगी तो मुझे डराया गया और धमकियां मिलीं।
नेता एसजीपीसी सदस्यों को कह रहे हैं कि अगर बीबी को वोट दिया तो तुम्हारी लिखाई पहचान ली जाएगी। इसके बाद तुम्हारे साथ क्या होगा देखना। मैं तो नियमों के मुताबिक चली क्योंकि हर बार एसजीपीसी के चुनाव में दो से तीन उम्मीदवार मैदान में होते हैं ताकि लोग वोट कर सके लेकिन शिअद के कुछ नुमाइंदे आवाज दबाने पर तुले हैं। यह सियासती लोग श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के आदेश को भी नहीं मानते।
उनके ताया ससुर संत प्रेम सिंह 28 सालों तक एसजीपीसी सदस्य सदस्य रहे। उनके पिता सरकार में विधायक और मंत्री रहे, तब पार्टी पंथक मुद्दों पर चलती थी। अब एक व्यक्ति चला रहा है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव लड़ेंगी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिमटते एसजीपीसी के दायरे को देश विदेश तक फैलाएंगी।
सिखों की विरासत को बचाने के लिए सिख हेरिटेज कमीशन बनाया जाएगा और पंथ के उत्थान के लिए उठाए जाने वाले हर कदम से पहले देश-विदेश में बस्ती सिख संगत से सुझाव मांगे जाएंगे। मैं प्रधान बनकर एसजीपीसी को एक व्यक्ति से आजाद करना चाहती हूं जिसकी सोच अब पंथक नहीं रही।
बीबी जागीर कौर ने कहा कि मुझे बिना नोटिस दिए और बिना कुछ पूछे निकाल दिया गया तो अब किस लिए मिलना चाहते हैं। मिलने मिलाने की बात निकालने से पहले तक थी अब नहीं। मुझे बताएं कि पार्टी संविधान में कहां लिखा है कि बिना गलती बताएं उसे निकाल दें। उन्होंने कहा कि मुझे आप लोगों से पता चला कि सोमवार को पार्टी ने 12 बजे मुझे मिलने बुलाया है। व्हाट्सएप पर लेटर भेजी होगी जो मैं देखती ही नहीं तो जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता। मुझे एक व्यक्ति ने निकाला है और वह पार्टी संविधान के खिलाफ है।
पार्टी के सलाहकार दलजीत चीमा घर आए थे और उन्होंने कहा कि पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकती। इससे साफ है कि वह भाजपा से गठबंधन करेंगे। मुझे भाजपा की बी टीम कैसे कह सकते हैं, मैं पंथक मुद्दों के लिए लड़ी हूं और आगे भी लड़ती रहूंगी।